योग हमारा वो पुरातन विज्ञान है, जो हमारी संस्कृति भी है। हमारे वर्षों पुराने योग ज्ञान को आज पूरी दुनियाँ ने माना भी है और अपनाया भी है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि योग को आज भारत से ज्यादा लोग विदेशों में अपना रहे हैं, और इस क्षेत्र में ज्यादा जानने और समझने के लिए अध्ययन भी कर रहे हैं।
योग की शक्ति का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं – जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 21 जून को योग-दिवस मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में रखा था, तब 177 देशों ने केवल समर्थन ही नहीं किया वरन वे सह-प्रस्तावक भी बने थे।
योग तनाव को दूर करने और हमारे शरीर को शांत करने की सदियों पुरानी तकनीक है। इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं जो पुरानी बीमारियों के प्रभाव को भी कम कर सकते हैं।
लोग कहते हैं की हम योग क्यों करें लोगो ने योग को धर्म से जोड़कर विवादित कर दिया हैं जबकि सच यह हैं की यह एक व्यायाम है जिसे हर किसी को करना चाहिए।
योग /YOG
योग से शरीर का वजन कम होता हैं । शरीर स्वस्थ रहता है । इसके अतिरिक्त नियमित रूप से योग योगाभास इतनी समझ देता है कि हमें किस प्रकार का भोजन कब करना चाहिए और क्या नहीं।योग से ना सिर्फ शारीरिक विकास होता है बल्कि सुंदर चमकती त्वचा, शांतिपूर्ण अच्छे विचार को भी योग देता है। योग से जीवन यात्रा शांति और अधिक ऊर्जा से भर जाती है।तो आइए जानते हैं योग के फायदे के बारे में।
योग का लाभ
योग से अंतर्मन को शांति मिलती हैं आपके चिंता से भरे मन को शांत करने का सबसे आसान और सहज उपाय हैं साथ ही शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। आजकल हर इंसान रोग से सिर्फ इसलिए हार जाता है क्योंकि उसकी प्रतिरोधक क्षमता करजोर हो जाती हैं लेकिन योग करने से मदद मिलती है।
योग एक सम्पूर्ण जीवन पद्यति है जिसमे आपके व्यक्तिक, सामाजिक व्यवहार, शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक स्वास्थ्य, रोगों से बचाव, आध्यात्मिक विकास और जीवन के अंतिम और परम लक्ष्य की प्राप्ति के उपाय क्रमानुसार बताए गए है।
योगा के प्रकार
शीर्षासन : सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है साथ ही मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति सही रहती है।
सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार करने से शरीर निरोग और स्वस्थ होता है। सूर्य नमस्कार की दो स्थितियां होती हैं- पहले दाएं पैर से और दूसरा बाएं पैर से।
कटिचक्रासन : कटि का अर्थ कमर अर्थात कमर का चक्रासन। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इससे कमर, पेट, कूल्हे को स्वस्थ रखता है। इससे कमर की चर्बी कम होती है।
पादहस्तासन : इस आसन में हम अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, पैर के टखने भी पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पादहस्तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।
ताड़ासन : इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान रहती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इस आसन को नियमित करने से पैरों में मजबूती आती है।
विपरीत नौकासन : नौकासन पीठ के बल लेटकर किया जाता है, इसमें शरीर का आकार नौका के समान प्रतीत होती है। इससे मेरुदंड को शक्ति मिलती है। यौन रोग व दुर्बलता दूर करता है। इससे पेट व कमर का मोटापा दूर होता है।
हलासन : हलासन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है, इसीलिए इसे हलासन कहते हैं। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
सर्वांगासन : इस आसन में सभी अंगो का व्यायाम होता है, इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इससे दमा, मोटापा, दुर्बलता एवं थकानादि विकार दूर होते है।
शवासन : शवासन में शरीर को मुर्दे समान बना लेने के कारण ही इस आसन को शवासन कहा जाता है। यह पीठ के बल लेटकर किया जाता है और इससे शारीरिक तथा मानसिक शांति मिलती है।
मयूरासन : इस आसन को करते समय शरीर की आकृति मोर की तरह दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम मयूरासन है। इस आसन को बैठकर सावधानी पूर्वक किया जाता है। इस आसन से वक्षस्थल, फेफड़े, पसलियाँ और प्लीहा को शक्ति प्राप्त होती है।
पश्चिमोत्तनासन : इस आसन को पीठ के बल किया जाता है। इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से शरीर की सभी मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। जिससे उदर, छाती और मेरुदंड की कसरत होती है।
वक्रासन : वक्रासन बैठकर किया जाता है। इस आसन को करने से मेरुदंड सीधा होता है। इस आसन के अभ्यास से लीवर, किडनी स्वस्थ रहते हैं।
मत्स्यासन : इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है, इसलिए यह मत्स्यासन कहलाता है। यह आसन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और गला साफ रहता है।
सुप्त-वज्रासन : यह आसन वज्रासन की स्थिति में सोए हुए किया जाता है। इस आसन में पीठ के बल लेटना पड़ता है, इसिलिए इस आसन को सुप्त-वज्रासन कहते है, जबकि वज्रासन बैठकर किया जाता है। इससे घुटने, वक्षस्थल और मेरुदंड को आराम मिलता है।
वज्रासन : वज्रासन से जाघें मजबूत होती है। शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। पाचन क्रिया के लिए यह बहुत लाभदायक है। खाना खाने के बाद इसी आसन में कुछ देर बैठना चाहिए।
पद्मासन : इस आसन से रक्त संचार तेजी से होता है और उसमें शुद्धता आती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
International Yoga Day Celebration at Our Studio
स्वस्थ रहे खुश रहे , हर हर महादेव 👍💪❤️❤️🙏🙏🐅
स्वीटी राठी उर्फ टाइगर
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